अपने ही मर्द द्वारा
बनाया गया पत्थर उसे
अपने ही मर्द ने
छोड़ दिया
जानवरों के बीच वन में
किया गया उसे
अपने ही मर्द के सम्मुख नग्न
देखा गया अपने ही मर्दों द्नारा
निर्वस्त्र होते उसे
हर बार उसकी ही छाती पर
होते रहे युद्ध
हर बार वही वही
होती रही आहत
हर बार लाया गया
हरम तक उसे
और परोसी गई हर बार
व्यंजनों की तरह वही
हर वक़्त… हर जगह।