Tag: Sarveshwar Dayal Saxena
दिवंगत पिता के प्रति
1
सूरज के साथ-साथ
सन्ध्या के मंत्र डूब जाते थे,
घण्टी बजती थी अनाथ आश्रम में
भूखे भटकते बच्चों के लौट आने की,
दूर-दूर तक फैले खेतों पर,
धुएँ में...
अक्सर एक व्यथा
अक्सर एक गन्ध
मेरे पास से गुज़र जाती है,
अक्सर एक नदी
मेरे सामने भर जाती है,
अक्सर एक नाव
आकर तट से टकराती है,
अक्सर एक लीक
दूर पार से...
अन्त में
अब मैं कुछ कहना नहीं चाहता,
सुनना चाहता हूँ
एक समर्थ सच्ची आवाज़
यदि कहीं हो।
अन्यथा
इससे पूर्व कि
मेरा हर कथन
हर मंथन
हर अभिव्यक्ति
शून्य से टकराकर फिर वापस लौट...
देशगान
क्या ग़ज़ब का देश है, यह क्या ग़ज़ब का देश है।
बिन अदालत औ मुवक्किल के मुक़दमा पेश है।
आँख में दरिया है सबके
दिल में है...
देश काग़ज़ पर बना नक़्शा नहीं होता
यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रही...
कोट
खूँटी पर कोट की तरह
एक अरसे से मैं टँगा हूँ
कहाँ चला गया
मुझे पहनकर सार्थक करने वाला?
धूल पर धूल
इस क़दर जमती जा रही है
कि अब...
सूरज को नहीं डूबने दूँगा
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूँगा।
देखो मैंने कंधे चौड़े कर लिए हैं
मुट्ठियाँ मज़बूत कर ली हैं
और ढलान पर एड़ियाँ जमाकर
खड़ा होना मैंने सीख लिया...
पत्नी की मृत्यु पर
बायें हाथ में ले
अपना कटा हुआ दाहिना हाथ
बैठा हूँ मैं घर के उस कोने में
जिसे तुम्हारी मौत
कितनी सफ़ाई से ख़ाली कर गयी है।
अब यहाँ...
प्यार
इस पेड़ में
कल जहाँ पत्तियाँ थीं
आज वहाँ फूल हैं,
जहाँ फूल थे
वहाँ फल हैं,
जहाँ फल थे
वहाँ संगीत के
तमाम निर्झर झर रहे हैं,
उन निर्झरों में
जहाँ शिलाखण्ड थे
वहाँ चाँद...
कोई मेरे साथ चले
मैंने कब कहा
कोई मेरे साथ चले
चाहा ज़रूर!
अक्सर दरख़्तों के लिए
जूते सिलवा लाया
और उनके पास खड़ा रहा,
वे अपनी हरीयाली
अपने फूल-फूल पर इतराते
अपनी चिड़ियों में उलझे रहे
मैं...
एक छोटी-सी मुलाक़ात
'Ek Chhoti Si Mulaqat', a poem by Sarveshwar Dayal Saxena
कुछ देर और बैठो
अभी तो रोशनी की सिलवटें हैं
हमारे बीच।
शब्दों के जलते कोयलों की आँच
अभी...
देह का संगीत
मूझे चूमो
और फूल बना दो,
मुझे चूमो
और फल बना दो,
मुझे चूमो
और बीज बना दो,
मुझे चूमो
और वृक्ष बना दो,
फिर मेरी छाँह में बैठ रोम-रोम जुड़ाओ।
मुझे चूमो
हिमगिरि...