Tag: Sindhi Poetry

Rose, Flower, Hand

कुछ लघु काव्य

रूपान्तर: नामदेव 1 एकलव्य की गुरु-दक्षिणा: लटका दो— सर द्रोणाचार्य का युगों तक! 2 दर्द ने मेरा सीना चीरकर मौत को टाल दिया! 3 सिन्धु! तेरे सीने पर छोड़े हैं पद-चिह्न अपनी तहज़ीब के! 4 सूर्य को जब हथेली से न ढाँक...
Prayer, Man, Grief, Sad, God

लाठी

जो भगवान को मानता है वह लँगड़ा है और उसे बैसाखियों की ज़रूरत है, जो भगवान को नहीं मानता वह अन्धा है उसे लाठी की ज़रूरत है, आपको तय सिर्फ़ इतना करना है कि लाठी, आप अन्धे...
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