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हमारा समाज
यह कौन नहीं चाहेगा उसको मिले प्यार
यह कौन नहीं चाहेगा भोजन-वस्त्र मिले
यह कौन न सोचेगा हो छत सिर के ऊपर
बीमार पड़ें तो हो इलाज थोड़ा...
लगभग जैसा लगभग
'Lagbhag Jaisa Lagbhag', a satire by Nirmal Gupt
मैं गाड़ी की चाभी कई बार घुमा चुका हूँ। पर वह स्टार्ट नहीं हो रही। ’घू घू’...
हम उस दौर में जी रहे हैं
हम उस दौर में जी रहे हैं जहाँ
फेमिनिज्म शब्द ने एक गाली का रूप ले लिया है
और धार्मिक उदघोष नारे बन चुके हैं
जहाँ हत्या,...
विचार
बच्चों की हर गलती
में संस्कार माँ-बाप के बुरे नहीं
होते, एक समय के बाद ये
समाज भी संस्कार प्रदान करने
लगता है...
एक उम्र के बाद बच्चे
जन्म देने...