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‘वो विल (will) करेगी ही नहीं, जब करेगी वोंट (won’t) करेगी’ – ‘हीरा फेरी’...

"एक फ्रांसिसी साहब अपनी तमाम चल अचल संपत्ति एक ऐसी महिला के नाम कर के मरे जिस ने बीस साल पहले उन से शादी करने से इनकार कर दिया था। क्यों? क्योंकि उस इंकार की वजह से कुंआरे रहकर जो ज़िन्दगी का तुल्फ उठाया, जो भरपूर मौजमेला किया, जो खुदमुख्तारी और आज़ादी उन्होंने एन्जाय की, वो वो शादी कर लेते तो कभी न भोग पाते।" अपराध लेखन में विल यानी वसीयत एक पॉपुलर और उपयोगी एलिमेंट है किसी भी लेखक के लिए। इसी एलिमेंट पर सुरेन्द्र मोहन पाठक की किताब 'हीरा फेरी' में एक बड़ा ही रोचक और पठनीय अंश है जो आज यहाँ प्रस्तुत है। पढ़ कर देखिए :)
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‘हीरा फेरी’ – सुरेन्द्र मोहन पाठक का इकसठ माल

जितना बड़ा नाम सुरेन्द्र मोहन पाठक हिन्दी के अपराध लेखन या पोपुलर साहित्य में रखते हैं, उस हिसाब से आज भी मुझे लगता है...
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