Tag: Virendra Mishra

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प्रतीक्षा की समीक्षा

पत्र कई आए पर जिसको आना था वह नहीं आया, व्यंग्य किए चली गई धूप और छाया। सहन में फिर उतरा पीला-सा हाशिया साधों पर पाँव धरे चला गया...
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