‘Tumhein Chahiye’, a poem by Niki Pushkar
जब कहा जाता है कि
अब फ़ोन करने की ज़रूरत नहीं,
तब परोक्ष रूप से यह उलाहना होता है कि
इतनी देर से बात क्यों की।
जब कहा जाता है कि
अब मैसेज मत भेजना,
उसका आशय होता है कि
तुम्हारे संदेशों की कितनी प्रतीक्षा की।
जब कहा जाता है कि
अब कुछ नहीं हो सकता,
बस अब सब ख़त्म हो चुका है,
उसका अर्थ होता है कि
सब तुम्हारे हाथ में है
चाहो तो अभी ठीक कर सकते हो।
जब जी-भर कोसा जाता है तुम्हें
तो जान लेना चाहिए कि
निकटतम हो तुम
और
जब कहा जाता है तुम्हें सबसे तुच्छ
तो समझना चाहिए कि
‘विशेष’ हो तुम।