‘Ye Kya Hai’, a poem by Anurag Anant

वो गीत सबसे ख़ूबसूरत है
जो तुमने तन्हाई में सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए गाया था
वो भी उसकी याद में
जिसकी तन्हाइयों में भी एक भीड़ रहा करती है
और उस भीड़ में एक भी चेहरा तुमसे नहीं मिलता

वो मौन सबसे ख़ूबसूरत होता है
जो तुम्हारे दो शब्दों के बीच होता है
और बुदबुदाता है, उसका नाम
जिसके शोर में भी
तुम्हारी एक भी ध्वनि नहीं है

सबसे ख़ूबसूरत वो इंसान है
जिसने तुम्हारी आत्मा के धब्बे देखे हों
और तुमसे पूछा हो
ये क्या है?

यह भी पढ़ें: अनुराग अनंत की कविता ‘तुम और तुम जैसी स्त्रियाँ’

Recommended Book:

अनुराग अनंत
अनुराग अनंत पत्रकारिता एवं जनसंचार में पीएचडी कर रहे हैं। रहने वाले इलाहाबाद के हैं और हालिया ठिकाना अंबेडकर विश्ववद्यालय लखनऊ है।