अनुवाद: बलराम अग्रवाल
एक कवि से मैंने एक बार कहा, “तुम्हारी मौत से पहले हम तुम्हारे शब्दों का मूल्य नहीं जान पाएँगे।”
उसने कहा, “ठीक कहते हो। रहस्यों पर से परदा मौत ही उठा पाती है। और अगर वास्तव में तुम मेरे बारे में जानना चाहते हो तो सुनो, जितना बोल चुका हूँ उससे ज्यादा कविता मेरे हृदय में हैं और जितना लिख चुका हूँ उससे कहीं ज्यादा मेरे ख़यालों में है।”