एक बीड़ी सुलगाओ
या कोई मशाल जलाओ
कर दो हर तरफ़ धुआँ ही धुआँ
मुझसे शहद लेना है
तो आग की ज़रूरत पेश आयेगी
मैं मधुमक्खी हूँ
और मेरा समाज बहुत क्रूर है।

हर वो शख़्स
भले ही करता हो मज़दूरी
या कहलाता हो राजा
सबके पास अपने डंक हैं
अपनी आँखें विशेष रूप से बचाना
दिल को तो फिर भी
रख सकते हो तुम पर्दों में छुपा के।

यह भी पढ़ें:

वंदना कपिल की कविता ‘अपने अपने प्रिय’
फतहलाल गुर्जर ‘अनोखा’ की कविताएँ ‘अपने को कोण’
सनन्त ताँती की कविता ‘अपने लिए’

राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]