एक ख़त हर उस लड़की के नाम जिसे अपनी ज़िन्दगी ख़ुद बनानी है…
अभी तो धूप गुनगुनी है, बीतते समय के साथ ये चटख होती जाएगी। अपने आसपास बहती हवा जो अभी तुम्हें मृदुल लग रही है, कल कड़ी धूप से दोस्ती कर तुम्हें चुभने लगेगी।
धूप शक्ति का केंद्र है लेकिन कहा गया है न, शक्ति भी अपने मद में चूर होकर विनाश करती है। मैं तुम्हें डरा नहीं रही हूँ और न ही रात से मित्रता करने की सलाह दूँगी। अंधेरे को समझना बहुत कठिन है। चाँदनी की शीतलता भी एक पक्ष तक ही साथ देती है, कृष्ण पक्ष बहुत डरावना हो जाता है।
तुम उस दिन कह रही थीं कि तुमने कृत्रिम उजाले की व्यवस्था कर ली है। क्या तुम्हें उस पर पूरा विश्वास है? नहीं न! तब आधा-अधूरा विश्वास लेकर आगे बढ़ने का क्या फ़ायदा!
पता है धूप से ज़्यादा विश्वसनीय कुछ भी नहीं, बस हमें अपनी सीमा तय करनी होगी।ग्रीष्म की तीव्रता से बचने के लिए ख़ुद को परिष्कृत करना होगा! फिर दूरियाँ चाहे कितनी भी लम्बी हों, तुम्हें थकन नहीं होगी।
तुम अति संवेदनशील हो इसलिए मौसम का हल्का बदलाव भी तुम्हें बीमार कर देता है, हालाँकि तुमने इस बीमारी से लड़ना सीख लिया है फिर भी अपनी बीमारी के दिनों में तुम्हारी ऊर्जा ग़लत जगह वितरित होने लगती है। ये समस्त दुनिया ही धनावेशित व ऋणावेशित आयनों के संयोग से बनी है। चुम्बकत्व का पहला सिद्धान्त ही लौह होना है। ख़ुद को लोहे की भाँति मज़बूत कर लो।
उस दिन तुम कह रही थीं कि तुम्हें एक बहुत सुन्दर छतरी का साथ मिल गया है। अच्छा है! पर याद रखना गर बदलाव की हवा तेज़ हो तो छतरी भी साथ छोड़ देती है इसलिए उस पर कभी आश्रित मत होना।
रास्ते में पड़े सुन्दर बग़ीचों को कभी अनदेखा मत करना, सौन्दर्य बोध हर जीवन में ज़रूरी है। जिनकी दृष्टि सुन्दरता को देख कुछ पल के लिए नहीं ठहरती, वो लोग जीवन को नीरस और स्पंदन विहीन बना देते हैं। सौन्दर्य को प्रोत्साहित करना और उसका उपासक होना दो अलग बातें हैं, अगर किसी की सुन्दरता कुछ पल के विलम्ब का कारण बनती है तो बनने दो लेकिन उसके पाश में फँसकर कभी भी सफ़र को विराम मत देना।
जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहना। हो सकता है कुछ अच्छे दृश्यों को पलटकर देखने का मन करे, कुछ देर रुक जाना लेकिन किसी मोड़ पर मिले कटु अनुभवों को सहेजने के लिए अपनी गति को मंथर मत होने देना।