‘Is Baar Jab Prem Karenge’, a poem by Himani Kulkarni
इस बार जब प्रेम करेंगे
तो तुम और मैं अकेले नहीं आएँगे
हम लाएँगे पुराने रिश्तों से अमानत में मिला
एक कप, एक क़िताब, एक बदरंग टीशर्ट
और पहली अकुलाहट पर भाग खड़े होने की तैयारी।
हमारी बैक पॉकेट् में होगी एक की-रिंग भर समझ-
कि इस तरह से प्रेम करना भी मुमकिन है मेरे लिए
कि मेरे प्रेम को नहीं इजाज़त कि मेरे कमरे का नक़्शा बदले,
कि अभी सीखना है मुझे विदाई देने का सलीका;
और होगा, एक फ़्रिज मैगनेट,
और ख़ूब भीगा कॉर्नफ़्लेक्स खाने की आदत।
हम सारी सुबह गणित करेंगे,
और भरी दोपहर में कविताओं पर फिसल जाएँगे,
हम ख़ुश होने पर रो देंगे,
सरप्राइज़ पर चिढ़ जाएँगे,
बहुत सी फ़िल्मों, गानों, जगहों की ‘बात नहीं करेंगे’
नए प्यार को चूमने से पहले ठिठक जाएँगे,
हम इतने बड़े क़ाफ़िले के साथ हैं, तो रुक-रुक कर चलेंगे।
जिसका बकाया नहीं है ये,
अनचाहे ही कुछ बोझ उसपर भी उड़ेल देंगे
थोड़े बिल और थोड़ा बोझ शायद उससे भी बाँटेंगे,
कॉफ़ी बनाएँगे, नौकरी करेंगे
बहुत-बहुत प्रेम करेंगे
क्या अजीब वाक़या है न!
कि एक दूसरे के बाद के अकेलेपन में भी
इस बार जब प्रेम करेंगे
तो तुम और मैं अकेले नहीं आएंगे।
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