जो रास्ता आंखों से होकर
तुम्हारी रूह के तहख़ाने तक जाता है
वहाँ-
हल्की-सी सीलन बचा के रखना,
क्या पता;
मेरा दिल वहीं फिसल जाये !
जो रास्ता आंखों से होकर
तुम्हारी रूह के तहख़ाने तक जाता है
वहाँ-
हल्की-सी सीलन बचा के रखना,
क्या पता;
मेरा दिल वहीं फिसल जाये !