‘Kavita Ki Pareeksha’, a poem by Nishant Upadhyay
ईश्वर की परिभाषा क्या है?
हर धर्म के अपने ईश्वर होते हैं।
धर्म की परिभाषा क्या है?
धर्म ईश्वर से नहीं, भक्तों से बनता है।
भक्त की परिभाषा क्या है?
मनुष्य जब ख़ुद को कमज़ोर पाता है
भक्त बन जाता है।
मनुष्य की परिभाषा क्या है?
इससे पहले कि लिख पाता जवाब
पूरा हो चुका था समय,
पता भी नहीं थी मुझे मनुष्य की परिभाषा
मैं मनुष्य की परिभाषा जान भी लेता
अगर पढ़ लेता अपनी कविता को उल्टा…
पर फिर ईश्वर की परिभाषा पर अटक जाता।
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