पहली वारदात नाके के होटल के पास हुई। फ़ौरन ही वहाँ एक सिपाही का पहरा लगा दिया गया।
दूसरी वारदात दूसरे ही रोज़ शाम को स्टोर के सामने हुई। सिपाही को पहली जगह से हटाकर, दूसरी वारदात के मक़ाम पर मुतअय्यन कर दिया गया।
तीसरा केस रात के बारह बजे लांड्री के पास हुआ। जब इन्सपेक्टर ने सिपाही को इस नई जगह पहरा देने का हुक्म दिया तो उसने कुछ ग़ौर करने के बाद कहा- “मुझे वहाँ खड़ा कीजिए जहाँ नई वारदात होने वाली है।”