Tag: Saadat Hasan Manto
ख़ुशिया
ख़ुशिया सोच रहा था।
बनवारी से काले तम्बाकूवाला पान लेकर वह उसकी दुकान के साथ लगे उस संगीन चबूतरे पर बैठा था जो दिन के...
साढ़े तीन आने
"मैंने क़त्ल क्यों किया। एक इंसान के ख़ून में अपने हाथ क्यों रंगे, यह एक लम्बी दास्तान है। जब तक मैं उसके तमाम अवाक़िब...
बाय-बाय
नाम उसका फ़ातिमा था पर सब उसे फ़ातो कहते थे। बानिहाल के दर्रे के उस तरफ़ उसके बाप की पनचक्की थी जो बड़ा सादा...
मंटो
मंटो के मुताल्लिक़ अब तक बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है। उसके हक़ में कम और ख़िलाफ़ ज़्यादा। ये तहरीरें अगर पेश-ए-नज़र...
चोर
मुझे बेशुमार लोगों का क़र्ज़ अदा करना था और ये सब शराबनोशी की बदौलत था। रात को जब मैं सोने के लिए चारपाई पर...
धुआँ
वो जब स्कूल की तरफ़ रवाना हुआ तो उसने रास्ते में एक क़साई देखा, जिसके सर पर एक बहुत बड़ा टोकरा था। उस टोकरे...
शरीफ़न
जब क़ासिम ने अपने घर का दरवाज़ा खोला तो उसे सिर्फ़ एक गोली की जलन थी जो उसकी दाहिनी पिंडली में गड़ गई थी,...
आम
ख़ज़ाने के तमाम कलर्क जानते थे कि मुंशी करीम बख़्श की रसाई बड़े साहब तक भी है। चुनांचे वो सब उसकी इज़्ज़त करते थे।...
काली सलवार
सआदत हसन मंटो की कहानी 'काली सलवार' | 'Kali Salwar', a story by Saadat Hasan Manto
दिल्ली आने से पहले वो अम्बाला छावनी में थी...
मुलाक़ाती
"आज सुबह आपसे कौन मिलने आया था?"
"मुझे क्या मालूम मैं तो अपने कमरे में सो रहा था।"
"आप तो बस हर वक़्त सोए ही रहते...
वह लड़की
सवा चार बज चुके थे लेकिन धूप में वही तमाज़त थी जो दोपहर को बारह बजे के क़रीब थी। उसने बालकनी में आकर बाहर...
तस्वीर
“बच्चे कहाँ हैं?”
“मर गए हैं।”
“सब के सब?”
“हाँ, सबके सब... आपको आज उनके मुतअल्लिक़ पूछने का क्या ख़याल आ गया।”
“मैं उनका बाप हूँ।”
“आप ऐसा बाप...