1

बारूद के कोहरे में डूब गए हैं पहाड़,
नदी, मकान, शहर के शहर।
बीवी से छिपाकर बैंक में पैसे डालने
का मतलब नहीं रह गया है
अब।

2

मुझे चुप रहकर इन्तज़ार करना
चाहिए। मुझे इन्तज़ार करते हुए चुप
रहना चाहिए। मुझे चुप रहते हुए,
इन्तज़ार करते हुए, रहना चाहिए। (किसलिए?)

3

तुम लोगों से छुटकारा नहीं चाहता
हूँ। ग़ुलामी में भी इतनी स्वाधीनता
तो मैंने प्राप्त कर ली है कि किसी
को ग़ुलाम कह सकता हूँ।

4

उसके लम्बे पत्र में ईमानदारी का
सवाल हर तीसरे शब्द के बाद। हर
तीसरे शब्द के बाद ईमानदारी
का सवाल अठारह पुराणों में।

5

मैं टेबुल पर घूमते हुए ग्लोब में उस
शहर को ढूँढने लगा, जहाँ कोई
पुरुष और कोई स्त्री एक-दूसरे की पीठ
से लगकर रोए नहीं हों।

6

मेरी कमीज़ के अन्दर अपना बायाँ
हाथ डालकर, वह बूढ़ी औरत एक
अरसे से अपनी लिपिस्टिक की खोयी
हुई डिबिया तलाश रही है।

Book by Rajkamal Chaudhary:

राजकमल चौधरी
राजकमल चौधरी (१३ दिसंबर १९२९ - १९ जून १९६७) हिन्दी और मैथिली के प्रसिद्ध कवि एवं कहानीकार थे। मैथिली में स्वरगंधा, कविता राजकमलक आदि कविता संग्रह, एकटा चंपाकली एकटा विषधर (कहानी संग्रह) तथा आदिकथा, फूल पत्थर एवं आंदोलन उनके चर्चित उपन्यास हैं। हिन्दी में उनकी संपूर्ण कविताएँ भी प्रकाशित हो चुकी हैं।