Tag: Amrita Pritam

Amrita Pritam

नाग पंचमी

मेरा बदन एक पुराना पेड़ है और तेरा इश्क़ नागवंशी, युगों से मेरे पेड़ की एक खोह में रहता है। नागों का बसेरा ही पेड़ों का सच है नहीं...
Amrita Pritam

धूप का टुकड़ा

'Dhoop Ka Tukda', a poem by Amrita Pritam मुझे वह समय याद है जब धूप का एक टुकड़ा सूरज की उँगली थामकर अँधेरे का मेला देखता उस...
Amrita Pritam

रोज़ी

यह कविता यहाँ सुनें: https://youtu.be/OxEAcYCb80s अमृता प्रीतम की कविता 'रोज़ी' | 'Rozi', poetry by Amrita Pritam नीले आसमान के कोने में रात-मिल का साइरन बोलता है चाँद की चिमनी...
Amrita Pritam

कुमारी

'Kumari', a poem by Amrita Pritam मैंने जब तेरी सेज पर पैर रखा था मैं एक नहीं थी- दो थी एक समूची ब्याही और एक समूची कुमारी तेरे...
Amrita Pritam

अंतर्व्यथा (नीचे के कपड़े)

'Antarvyatha' (Neeche Ke Kapde), a story by Amrita Pritam जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी- 'नीचे के कपड़े', उसका नाम भूल...

मैं तुझे फिर मिलूँगी

'Main Tujhe Phir Milungi', a poem by Amrita Pritam मैं तुझे फिर मिलूँगी कहाँ कैसे पता नहीं शायद तेरी कल्पनाओं की प्रेरणा बन तेरे केनवास पर उतरुँगी या तेरे केनवास पर एक...
Amrita Pritam

वारिस शाह से

"पंजाब की एक बेटी रोई थी तूने एक लम्बी दास्तान लिखी आज लाखों बेटियाँ रो रही हैं..." वारिस शाह ने 'हीर' लिखी थी, पंजाब की एक बेटी के लिए.. इस कविता में अमृता प्रीतम दुहाई दे रही हैं कि विभाजन के समय आज पंजाब की कितनी बेटियों को अत्याचार सहना पड़ रहा है.. वे रोने पर विवश हैं.. कई परिवार से अलग हो गईं, कितनों को परिवार ने मिल जाने पर भी नहीं अपनाया। इतना कुछ हो रहा है आज पंजाब की हीरों के साथ.. तो आज वारिस शाह अपनी कब्र में चुप क्यों हैं?

एक जीवी, एक रत्नी, एक सपना

'हाय री स्त्री, डूबने के लिए भी तैयार है, यदि तेरा प्रिय एक सागर हो!' 'फिर उस लड़की का भी वही अंजाम हुआ, जो उससे पहले कई और लड़कियों का हो चुका था और उसके बाद कई और लड़कियों का होना था। वह लड़की बम्बई पहुँचकर कला की मूर्ती नहीं, कला की कब्र बन गई, और मैं सोच रही थी, यह रत्नी.. यह रत्नी क्या बनेगी?'
Amrita-Imroz

अमृता के इमरोज़ से ‘सात सवाल’

अमृता-इमरोज़ का नाम आते ही या तो प्रेम-तिकोनों के कोण नपने लगते हैं या फिर एक में खुद को भुला चुका कोई दूसरा 'एक'...
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