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मचलें पाँव
मचलें पाँव
कह रहे मन से
आ चलें गाँव।
कहता मन
गाँव रहे न गाँव
केवल भ्रम।
ली करवट
शहरीकरण ने
गाँव लापता।
मेले न ठेले
न ख़ुशियों के रेले
गर्म हवाएँ।
वृक्ष न छाँव
नंगी पगडंडियाँ
जलाएँ...
कुछ हाइकु
Hindi Haikus by Laxmi Shankar Bajpai
"आठों पहर
दौड़े बदहवास
महानगर।"
"जनतंत्र में
बचा तंत्र ही तंत्र
खो गए जन।"
"सबसे ख़ुश
वो जो नहीं जानता
ख़ुशियाँ क्या हैं।"
"परिचित हूँ
जीवन के अंत से
किंतु...
‘जेठ’ पर हाइकु
'जेठ' पर हाइकु
जेठ (ज्येष्ठ) हिन्दू पंचांग के अनुसार साल का तीसरा महीना होता है और इस माह को गर्मी का महीना भी कहा जाता...