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वही टूटा हुआ दर्पण बराबर याद आता है
'Wahi Toota Hua Darpan Barabar Yaad Aata Hai' a ghazal by Ramavtar Tyagi
वही टूटा हुआ दर्पण बराबर याद आता है
उदासी और आँसू का स्वयंवर...
तुम्हारी प्रेम-वीणा का अछूता तार मैं भी हूँ
तुम्हारी प्रेम-वीणा का अछूता तार मैं भी हूँ
मुझे क्यों भूलते वादक, विकल झंकार मैं भी हूँ
मुझे क्या स्थान जीवन देवता होगा न चरणों में
तुम्हारे...
अपनी अलग चिन्हारी रख
अब नहीं उनसे यारी रख
अपनी लड़ाई जारी रख
भूख ग़रीबी के मसले पे
अब इक पत्थर भारी रख
कवि मंचों पर बने विदूषक
उनके नाम मदारी रख
भीड़-भाड़ में खो...
तू शब्दों का दास रे जोगी
तू शब्दों का दास रे जोगी
तेरा कहाँ विश्वास रे जोगी
इक दिन विष का प्याला पी जा
फिर न लगेगी प्यास रे जोगी
ये साँसों का बन्दी...
बिरजू भैया
ईश्वर के अवतार हुए हैं, बिरजू भैया,
पर कितने लाचार हुए हैं, बिरजू भैया।
होरी के सिरहाने कोरी रात बिताई,
फिर चाहे बीमार हुए हैं, बिरजू भैया।
धनिया...
चीर चुराने वाला चीर बढ़ावे है
चीर चुराने वाला चीर बढ़ावे है
ऐसी लीलाओं से जी घबरावे है
जितनी बार बुहारूँ हूँ अपने घर को
उतनी ही साँसों में धूल समावे है
कैसी बेचैनी...
इक मरुस्थल इक समुंदर
इक मरुस्थल, इक समंदर।
पा रहा हूँ अपने अंदर।
यूँ तुम्हारे दिल से निकला
जैसे लौटा था सिकंदर।
फिर उड़ेंगे खग नए कल
हमसे सुंदर, तुमसे सुंदर।
थकके लौटे ज्वार...
आइए मरुभूमि में उद्यान की चर्चा करें
आइए मरुभूमि में उद्यान की चर्चा करें,
ध्वंस के सन्दर्भ में निर्माण की चर्चा करें।
निर्झरों, नदियों, तड़ागों की प्रगति को साधुवाद,
सिंधु में उठते हुए तूफ़ान...