Tag: hindi haiku
मचलें पाँव
मचलें पाँव
कह रहे मन से
आ चलें गाँव।
कहता मन
गाँव रहे न गाँव
केवल भ्रम।
ली करवट
शहरीकरण ने
गाँव लापता।
मेले न ठेले
न ख़ुशियों के रेले
गर्म हवाएँ।
वृक्ष न छाँव
नंगी पगडंडियाँ
जलाएँ...
कुछ हाइकु
Hindi Haikus by Laxmi Shankar Bajpai
"आठों पहर
दौड़े बदहवास
महानगर।"
"जनतंत्र में
बचा तंत्र ही तंत्र
खो गए जन।"
"सबसे ख़ुश
वो जो नहीं जानता
ख़ुशियाँ क्या हैं।"
"परिचित हूँ
जीवन के अंत से
किंतु...
ऋतु शरद
सुस्वागतम्
ऋतु शरद! आओ
सुस्वागतम् ।
मूँज-पुष्प सा
शरद दिवस, है
धूसर वर्णी ।
पवन-पाश
में, हिम अकुलाई
काँपे सर्वस्व।
गहन निशा
के मुख पे पावक
का उबटन ।
ओस मदित
कचनार गुलाबी
हुए मुदित ।
यूकेलिप्टस
के प्रसून उड़ेलें
तीक्ष्ण...
विजय गुँजन के हाइकु
नदी के पाँव
फिसलते जब भी
डूबते गांव
सो रही धूप
किसी निर्जन वन
बदल रूप
बंटे बर्तन
भाइयों के बीच में
रोया आंगन
शहर जला
माचिसों पर दोष
इन्सान चला
किताबें शांत
बैठी हैं अकेले में
शब्द...
हिन्दी हाइकु
पिछले दिनों रोशनदान ग्रुप द्वारा आयोजित पोएट्री वर्कशॉप में लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी द्वारा हाइकु, माहिया और दोहे जैसे काव्य रूपों को संक्षेप में...