Tag: Hindi kavita
अकुशल
बटमारी, प्रेम और आजीविका के रास्तों से भी गुज़रना होता है
और जैसा कि कहा गया है इसमें कोई सावधानी काम नहीं आती
अकुशलता ही देती...
हट जा… हट जा… हट जा
आम रास्ता
ख़ास आदमी...
हट जा, हट जा, हट जा, हट जा।
ख़ास रास्ता
आम आदमी
हट जा, हट जा, हट जा, हट जा।
धूल फाँक ले,
गला बन्द कर,
जिह्वा काट...
हरी-हरी दूब पर
'Hari Hari Doob Par', a poem by Atal Bihari Vajpayee
हरी-हरी दूब पर
ओस की बूँदें
अभी थी,
अभी नहीं हैं।
ऐसी खुशियाँ
जो हमेशा हमारा साथ दें
कभी नहीं थी,
कहीं...
सुबह की तलाश
"वे अपने आंगन में
एक किरण उतारने
एक गुलाब खिलाने की कला में
हर बार चूक गये।"
तीन कविताएँ
मेरे अंदर एक पागलखाना है
मेरे अंदर एक पागलखाना है
तरह-तरह के पागल हैं
एक पागल हरदम बोलता ही रहता है,
दूसरा पागल ख़ामोशी ओढ़े है
बस नींद में...
सूर्योदय की प्रतीक्षा में
वे सूर्योदय की प्रतीक्षा में
पश्चिम की ओर
मुॅंह करके खड़े थे
दूसरे दिन जब सूर्योदय हुआ
तब भी वे पश्चिम की ओर
मुॅंह करके खड़े थे
जबकि सही दिशा-संकेत...
शून्य
भीतर जो शून्य है
उसका एक जबड़ा है
जबड़े में माँस काट खाने के दाँत हैं;
उनको खा जाएँगे,
तुमको खा जाएँगे।
भीतर का आदतन क्रोधी अभाव वह
हमारा स्वभाव है,
जबड़े...
कहीं कभी
कहीं कभी सितारे अपने आपकी
आवाज पा लेते हैं और
आसपास उन्हें गुजरते छू लेते हैं...
कहीं कभी रात घुल जाती है
और मेरे जिगर के लाल-लाल
गहरे रंग...
कड़वा सत्य
एक लम्बी मेज़
दूसरी लम्बी मेज़
तीसरी लम्बी मेज़
दीवारों से सटी पारदर्शी शीशेवाली अलमारियाँ
मेज़ों के दोनों ओर बैठे हैं व्यक्ति
पुरुष-स्त्रियाँ
युवक-युवतियाँ
बूढ़े-बूढ़ियाँ
सब प्रसन्न हैं
कम-से-कम अभिनय उनका इंगित करता...
रोटी
रोज़ सवेरे ऑफिस जाते वक़्त
ट्रैफिक की लाल बत्ती पर गाड़ी रुकती थी
रोज़ देखती थी मैं
उस भीड़ में ज़िन्दगी से ज़द्दोज़हद करते लोगों को
कहीं ऑटो...
भोपाल में थोड़ा-थोड़ा कितना कुछ है।
भोपाल पर गौरव 'अदीब' की एक कविता
भोपाल में थोड़ा-थोड़ा कितना कुछ है
भोपाल में बहुत सारा लख़नऊ है
यहाँ ऐशबाग है, हमीदिया रोड है
यहाँ पुलिया है...
फूल और काँटा
हैं जन्म लेते जगह में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक ही सी चाँदनी है डालता।
मेह उन...