Tag: Individuality
मैं
मैं
एक तीर था
जिसे सबने अपने तरकश में शामिल किया
किसी ने चलाया नहीं
मैं
एक फूल था
टूटने को बेताब
सबने मुझे देखा, मेरे रंगों की तारीफ़ की
और मैं...
कमला दास की कविता ‘परिचय’
मूल कविता: 'An Introduction'
कवयित्री: कमला दास
भावानुवाद: दिव्या श्री
मैं राजनीति के बारे में कुछ नहीं जानती
लेकिन उन नामों को जानती हूँ
जो सत्ता के शिखर पर...
ज़िन्दा रहने की तड़प
रात तुम्हारे लिए सोने की एक कोशिश भर है
मगर मेरे लिए
ज़िन्दा रहने की तड़प से भरी हुई एक चीख।
दिन तुम्हारे लिए रोजगार की तलाश...
पहचान
हम अपने आप को
अपने चेहरे से नहीं पहचानते
नहीं बुलाते ख़ुद को हम
अपने नाम से
घर के बाहर लगी नेम प्लेट
दूसरों के लिए है
दूसरों के लिए...