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प्रमोद रंजन की किताब ‘शिमला डायरी’ [समीक्षा: देविना अक्षयवर]
जिसे आज 'पहाड़ों की रानी' कहा जाता है, वह कभी उत्तरी भारत के इस हिमालयी राज्य का एक छोटा-सा गाँव हुआ करता था। अँग्रेज़ों...
मेरी आँखों का दौलतपुर
बीता हुआ और बीत रहा हर एक क्षण स्मृति बनता चला जाता है। कुछ स्मृतियाँ सिर्फ़ स्मृतियाँ न रहकर अंतस पटल पर शिलालेख-सी अमिट...
यूरोप की छत पर : स्विट्ज़रलैण्ड
दुनिया की नहीं तो यूरोप की छत : अपने पर्वतीय प्रदेश के कारण स्विटजरलैण्ड को प्रायः यह नाम दिया जाता था—किन्तु हिमालय को घर...
सियाह औ सुफ़ैद से कहीं अधिक है यह ‘सियाहत’
किताब समीक्षा: डॉ. श्रीश पाठक - आलोक रंजन की किताब 'सियाहत'
आज की दुनिया, आज का समाज उतने में ही उठक-बैठक कर रहा जितनी मोहलत उसे...
‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ – अनुराधा बेनीवाल
"आज़ादी बड़ी अनोखी-सी चिड़िया है, यह है तो आपकी, लेकिन समय-समय पर इसको दाना डालना होता है। अगर आपने दाना उधार लिया तो चिड़िया भी उधार की हो जाती है।"