आओ करें गण का गुणगान,
गणतंत्र की हम समझें शान।
सन सैंतालीस में हुए आज़ाद,
पचास में पाया पूरा सम्मान।
हमारा अब अपना संविधान,
देश नहीं अब रहा गुलाम।
चुनते हैं हम अपना राज,
उनपर भी होती है लगाम।
सबको हैं अधिकार समान,
कोई खास हो या हो आम।
मिलजुल कर लेते हैं निर्णय,
सहमति से होता सब समाधान।
किसी एक की नहीं बपौती,
सबके हित में बने विधान।
गणतंत्र का बस अर्थ यही है,
सभी सबल हों, बढ़े देश का मान।