‘Code’, a poem by Rituraj
भाषा को उलटकर बरतना चाहिए
मैं उन्हें नहीं जानता
यानी मैं उन्हें बख़ूबी जानता हूँ
वे बहुत बड़े और महान् लोग हैं
यानी वे बहुत ओछे, पिद्दी
और निकृष्ट कोटि के हैं
कहा कि आपने बहुत प्रासंगिक
और सार्थक लेखन किया है
यानी यह अत्यन्त अप्रासंगिक
और बकवास है
आप जैसा प्रतिबद्ध और उदार
दूसरा कोई नहीं
यानी आप जैसा बेईमान और जातिवादी इस धरती पर
कहीं नहीं
अगर अर्थ मंशा में छिपे होते हैं
तो उल्टा बोलने का अभ्यास
ख़ुद-ब-ख़ुद आशय व्यक्त कर देगा
मुस्कराने में घृणा प्रकट होगी
स्वागत में तिरस्कार
आप चाय में शक्कर नहीं लेते
जानता हूँ
यानी आप बहुत ज़हरीले हैं
मैंने आपकी बहुत प्रतीक्षा की
यानी आपके दुर्घटनाग्रस्त होने की ख़बर का
इन्तज़ार किया
वह बहुत कर्तव्यनिष्ठ है
यानी बहुत चापलूस और कामचोर है
वह देश और समाज की
चिन्ता करता है
यानी अपनी सन्तानों का भविष्य सुनहरा
बनाना चाहता है
हमारी भाषा की शिष्टता में
छिपे होते हैं
अनेक हिंसक रूप
विपरीत अर्थ छानने के लिए
और अधिक सुशिक्षित होना होगा
इतना सभ्य और शिक्षित
कि शत्रु को पता तो चले
कि यह मीठी मार है
लेकिन वह उसका प्रतिवाद न कर सके
सिर्फ़ कहे, आभारी हूँ,
धन्यवाद!!
यह भी पढ़ें: ‘कभी इतनी धनवान मत बनना’