दिल की धड़कन और फिर आँखों का पानी हो गए
तुम जुदा भी तब हुए जब ज़िंदगानी हो गए
हमने देखा है नशेमन में इन्हें रोते हुए
पर निकलते ही परिंदे आसमानी हो गए
वो मुहब्बत के सफ़र से रूबरू होता गया
याद मेरे शेर जिसको मू ज़ुबानी हो गए
दिल मेरा कब से इसी ग़म के क़फ़स में क़ैद है
तुम भला कैसे हक़ीक़त से कहानी हो गए
फ़िक्र से लगता नहीं तुम अहले हिन्दुस्तान हो
काग़ज़ों में जबकि तुम हिन्दोस्तानी हो गए
मुल्क की बर्बादियों में तुम भी शामिल थे कभी
जब हुकूमत छिन गई तो ख़ानदानी हो गए