‘Usi Ki Dekhi Hukumat Bhi’,
a ghazal by Chitransh Khare

उसी की देखी हुकूमत भी हुक्मरानों पर
वही ख़ुदा है जो बैठा है आसमानों पर

इन हादसों पे भी इतना कभी नहीं रोया
मैं जितना रोया सियासत तेरे बयानों पर

है मुझको इतनी मुहब्बत मेरे उसूलों से
ग़ुरूर जितना है तुझको तेरे खज़ानों पर

मुझे है ख़ौफ़ तमंचे न थाम लें बच्चे
कि अब तो मिलता है बारूद भी दुकानों पर

मैं हिन्दी उर्दू को माँ का मुक़ाम देता हूँ
हमेशा जान लुटाता हूँ इन ज़ुबानों पर

भला वो कैसे भरोसा रखे ख़ुदाई में
गिरी हो बिजलियाँ बस जिनके आशियानों पर!

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चित्रांश खरे
चित्रांश खरे का जन्म दतिया जिले के अकोला ग्राम में नवम्बर 1989 को हुआ चित्रांश खरे के पिता का खेती का व्यवसाय है और माता गृहणी है। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे चित्रांश खरे की माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा ग्राम अकोला में ही संपन्न हुई। इसके उपरान्त वह जिला दतिया में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर इंजीनियरिंग करने के लिए भोपाल चले गए और 2011 में इंजीनियरिंग करने के बाद तकनीकी क्षेत्र में ना जाते हुए साहित्यिक क्षेत्र में जाने का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय से परिजन नाखुश थे लेकिन उन्होंने अपनी मंजिल साहित्यिक क्षेत्र में ही निर्धारित कर ली थी।