आपसी सद्भाव से समाज में शान्ति रहती है
शान्ति में ही सम्भव है प्रगति और विकास
ये अच्छे विचार हैं कुछ लोगों के लिए फ़ायदेमन्द
एक रेशेदार जीभ वाला दैत्य है जिसका काम चलता रहता है
दिमाग़ के बाएँ और दाएँ हिस्से में एक साथ
दिल के पास
धमनियों में
उसके क़ाबू में रहती हैं
फेफड़ों में आती-जाती हवाएँ
कभी-कभी तकनीक के परिष्कार से, कला से
ऊब जाती है राजसत्ता
तब वह ढिठाई से खुलकर शिकार करती है
सुविधा के मुताबिक़ धमकियाँ, सुविधानुसार जेल
सुविधा के अनुसार यातना और अंग-भंग
असुविधा की हालत में… ख़ल्लास
‘ख़ल्लास’ कविजनोचित शब्द नहीं है लेकिन
आसानी से समझ में आता है प्रजाजन को
डरो, सत्ताएँ कहती हैं, सो डरो, कहती हैं सो करो
तुम बहते हुए आँसू, बहते हुए रक्त की बात करते हो
अजीब बात है कि फिर भी धोखादेह बयानों को याद करते हुए
अधिकारों की किसी जर्जर किताब पर भरोसा करना चाहते हो
विकल्प सिमटते जाते हैं इस विभाजित अंधकार में
धुआँ उठ रहा है
बहुत-सी पहले की-सी अनुमतियाँ अब नहीं हैं
उन्हें वापस ले लिया गया है
रास्ते बन्द किए जा रहे हैं, धुआँ उठता दीखता है हर तरफ़
मत कहना चेतावनी नहीं दी गई थी
खुली आँखों की अंधता और विस्मृति का
कोई प्रायश्चित नहीं होता।