‘Mazdoor Ishwar’, a poem by Joshnaa Banerjee Adwanii
अनुपस्थितियों को सिखायी
सोलह कलाएँ,
गुनाह के अनेक तथ्य बनाकर
प्रायश्चित्त को मोक्ष दिया,
संगीत की लय में प्रेमियों की
आत्माओं के लिए गुंजाइश रखी,
वचन के साथ बाँध दिया
दैनिक अभ्यास,
दुधमुँहे बच्चों को शब्दकोष
से दूर रखा,
टिप्पणियों मे भर दी छटाँक
भर निर्लज्जता।
ईश्वर से बड़ा मज़दूर कौन!
यह भी पढ़ें:
वंदना कपिल की कविता ‘ईश्वर से अनुबंध है प्रेम का’
निशांत उपाध्याय की कविता ‘प्रेम ईश्वर’
अनुराधा सिंह की कविता ‘ईश्वर नहीं नींद चाहिए’