Tag: Shivangi Goel
प्रेम में इंसान अलंकृत हो जाता है
प्रेम में इंसान अलंकृत हो जाता है
अतिश्योक्ति अलंकार से!
उसका दिल कुछ भी करने
या हो जाने का होता है..
मसलन,
किसी को गर्दन से लेकर नाभि तक...
राख उड़ी होगी जग में, नरमुण्ड कहीं बिखरे होंगे..
तुम प्रेम परिधि के मध्यबिंदु हो, रौद्ररूप हो, शिव हो
तुम गंगा को जूड़े में बाँधे माहेश्वर हो, शिव हो
तुम कि जिसे अपने अपमान का क्षोभ...
रोटियाँ
एक छोटी-सी कविता जिसमें से उद्धृत करने के लिए अंश चाहे न मिले, लेकिन जिसमें स्त्रियों के लिए असहनीय किए गए युगों की झलक साफ़ झलकती है..
तुझे लगता है मुझे होश है, मैं ज़िंदा हूँ?
तुझे लगता है मुझे होश है, मैं ज़िंदा हूँ?
सामने आएगा तो मरता हुआ पायेगा मुझे
सेज फूलों से नहीं 'कै' से भरी होगी मेरी
और उस...
यतीम औलादें
मैं कुछ यतीम बच्चों को जानती हूँ
जिनके वालिदैन ज़िंदा हैं, उनके साथ रहते हैं
पर वो शजर नहीं बन सके अपनी औलाद के लिए
और बने...
इज़्ज़त बरक़रार रहती है!
उसने मुझसे कहा कि मैं तुमसे 'प्रेम' करता हूँ
ये भी कहा कि मैं अपनी पत्नी की 'इज़्ज़त' करता हूँ
जब उसके शरीर से बह रहा...