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मंटो पर सिनेमा के बाद का लेख
11 मई, 1912 को जन्मे सआदत हसन मंटो का साहित्यिक सफ़र अंग्रेज़ी फ्रेंच और रूसी लेखकों की रचनाओं के अनुवाद से आरंभ हुआ। शुरू के लेखन...
तुम मेरे आस पास नहीं हो
तुम मेरे आस पास नहीं हो,
तुम कहीं नहीं हो...
फिर भी तुम्हारी खुश्बू,
हवाओं में घुली जा रही है
हवा चलती है जैसे कि
तुम कुछ कहे जा रहे हो
तुम...
जुदाई
"तुम्हें क़सम है मेरी जो अगर अब एक बार भी रोई!" उसने तेज़ आवाज़ में कहा था।
लड़की घुटकते हुए चुप होने की कोशिश करने...
रात रिस्की या ख़ूबसूरत
रात में रिस्क नहीं लेना चाहिए, रातें जितनी खूबसूरत होती हैं उतनी ही रिस्की भी बेवफा माशूक की तरह
रात के पास होता है अंधेरा
अंधेरे में होता है...