Tag: Suicide
कितने प्रस्थान
सूरज
अधूरी आत्महत्या में उड़ेल आया
दिन-भर का चढ़ना
उतरते हुए दृश्य को
सूर्यास्त कह देना कितना तर्कसंगत है
यह संदेहयुक्त है
अस्त होने की परिभाषा में
कितना अस्त हो जाना
दोबारा...
सिर्फ़ व सिर्फ़ अपने बारे में
पागल स्त्री की चीख़ पर कोई कान नहीं दे रहा है
भटकते लोगों की बड़बड़ाहट का कोई अर्थ नहीं है
संततियाँ पालकों से अधिक ऐप में...
पेटपोंछना
दराज़ में रखी नींद की गोलियों से भरी शीशी को मैंने फिर से देखा, थोड़ी देर देखता रहा... फिर धीरे से दराज़ बंद कर दी।...
वह क्या है?
वह क्या है
जो एक औरत पालती है
अपने बच्चों को बारी-बारी से
गर्भ में लम्बे नौ महीने तक
और एक दिन उन्हें ही अपने साथ ले
कुएँ में...
निराशा
निराशा भाव मात्र नहीं है,
निराशा एक पूरा ब्रह्मांड है
लेकिन
ब्रह्मांड के गुण के विपरीत जाकर
निराशा ने धरा हुआ है गुरुत्वाकर्षण
जो तुम्हारे सूखे कंठ से बहेगा सिगरेट...