धूप सुन्दर
धूप में
जग-रूप सुन्दर
सहज सुन्दर
व्योम निर्मल
दृश्य जितना
स्पृश्य जितना
भूमि का वैभव
तरंगित रूप सुन्दर
सहज सुन्दर
तरुण हरियाली
निराली शान शोभा
लाल पीले
और नीले
वर्ण वर्ण प्रसून सुन्दर
धूप सुन्दर
धूप में जग-रूप सुन्दर
ओस कण के
हार पहने
इंद्र-धनुषी
छवि बनाए
शम्य तृण
सर्वत्र सुन्दर
धूप सुन्दर
धूप में जग-रूप सुन्दर
सघन पीली
उर्मियों में
बोर
हरियाली
सलोनी
झूमती सरसों
प्रकम्पित वात से
अपरूप सुन्दर
धूप सुन्दर
मौन एकाकी
तरंगे देखता हूँ
देखता हूँ
यह अनिवर्चनीयता
बस देखता हूँ
सोचता हूँ
क्या कभी
मैं पा सकूँगा
इस तरह
इतना तरंगी
और निर्मल
आदमी का
रूप सुन्दर
धूप सुन्दर
धूप में जग-रूप सुन्दर
सहज सुन्दर!
त्रिलोचन की कविता 'चम्पा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती'