कविता संग्रह ‘यह एक दिन है’ से
हमें नहीं मालूम था कि हम मिलेंगे एक दिन
पर जब मिल जाते हैं लगता है
तय था हमारा मिलना। यह कविता केवल मनुष्यों
के बारे में नहीं है। हम बैठे रहते हैं गुमसुम
कभी भीतर से अशान्त। हम यानी मैं कुछ सीढ़ियाँ
कुछ पेड़, पहाड़, लकड़ियाँ, कभी आकाश धूप
छत आवाज़ें रात की, दिन की।
जब हम सचमुच मिलते हैं
लगता है तय था हमारा मिलना।
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