कोकिल अति सुंदर चिड़िया है,
सच कहते हैं, अति बढ़िया है।

जिस रंगत के कुँवर कन्हाई,
उसने भी वह रंगत पाई।

बौरों की सुगंध की भाँती,
कुहू-कुहू यह सब दिन गाती।

मन प्रसन्न होता है सुनकर,
इसके मीठे बोल मनोहर।

मीठी तान कान में ऐसे,
आती है वंशी-धुनि जैसे।

सिर ऊँचा कर मुख खोलै है,
कैसी मृदु बानी बोलै है!

इसमें एक और गुण भाई,
जिससे यह सबके मन भाई।

यह खेतों के कीड़े सारे,
खा जाती है बिना बिचारे।

महावीर प्रसाद द्विवेदी
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है।