Tag: Farmers
किसान को कौन जानता है?
हवा को जितना जानता है पानी
कोई नहीं जानता
पानी को जितना जानती है आग
कोई नहीं जानता
आग को जितना जानते हैं पेड़
कोई नहीं जानता
पेड़ को जितना...
मेरे पुरखे किसान थे
मेरे पुरखे किसान थे
मैं किसान नहीं हूँ
मेरी देह से
खेत की मिट्टी
की कोई आदिम गन्ध नहीं आती
पर मेरे मन के किसी पवित्र
स्थान पर
सभी पुरखे जड़...
वे बैठे हैं
वे बैठे हैं
पलथी टिकाए
आँख गड़ाए
अपनी रोटी बाँधकर ले आए हैं,
रखते हैं तुम्हारे सामने
अपने घरों के चूल्हे,
आश्वासन नहीं माँगते तुमसे
माँगते हैं रोटी के बदले रोटी
अपने...
हलधर धरती जोतो रे
हलधर धरती जोतो रे
हलधर धरती जोतो रे
आज धरा पे कष्ट बड़ा है
अंत बड़ा नज़दीक खड़ा है
उसका आना रोको रे
हलधर धरती जोतो रे
हलधर धरती जोतो...
भाव, सरकार की चुप्पी
भाव
सबसे सस्ता खेत
सबसे सस्ता अन्न
सबसे सस्ता बीज
सबसे सस्ती फ़सल
उससे भी बढ़कर सस्ता किसान—
जिसके मरने से किसी को
जेल नहीं होती,
जिसके आत्महत्या करने से
किसी को फाँसी नहीं...
कविताएँ: दिसम्बर 2020
लड़कियों का मन कसैला हो गया है
इन दिनों
लड़कियों का मन कसैला हो गया है
अब वह हँसती नहीं
दुपट्टा भी लहराती नहीं
अब झूला झूलती नहीं
न ही...
अमलदारी
इससे पहले कि
अक्षुण्णताओं के रेखाचित्र ढोते
अभिलेखागारों के दस्तावेज़ों में
उलटफेर कर दी जाए,
उन सारी जगहों की
शिनाख़्त होनी चाहिए
जहाँ बैठकर
एक कुशल और समृद्ध समाज की
कल्पनाओं के...
विराग की कविताएँ
प्रतीक्षा हमारे ख़ून में है
जिन दिनों हम गर्भ में थे
सरकारी अस्पताल की लाइन में लगी रहती माँ
और डॉक्टर लंच के लिए उठ जाता, कहते...
टिड्डी
मुल्क के मुख़्तलिफ़ हिस्सों से ख़बरें आ रही हैं कि काश्तकार डटकर टिड्डी दल का मुक़ाबला कर रहे हैं। हवाई जहाज़ों से टिड्डी के...
मेघ न आए
मेघ न आए।
सूखे खेत किसानिन सूखे,
सूखे ताल-तलैयाँ,
भुइयाँ पर की कुइयाँ सूखी,
तलफ़े ढोर-चिरैयाँ।
आसमान में सूरज धधके,
दुर्दिन झाँक रहे।
बीज फोड़कर निकले अंकुर
ऊपर ताक रहे।
मेघ न आए।
सावन...
ममता जयंत की कविताएँ
चुनौतियाँ पेट से हैं
इन दिनों रवि भारी है रबी पर
और सुनहरी चमक लिए खड़ी हैं बालियाँ
देख रही हैं बाट मज़दूरों की
कसमसा रही हैं मीठे...
आन्दोलनों के इस दौर में
हृदय में पीड़ा और पाँवों में छाले लिए
थका-हारा और निराशा में आकण्ठ डूबा व्यक्ति
बदहवास-सा चौराहे से कटने वाली चारों सड़कों पर झाँकता
वह कोई और नहीं,...