Tag: Mangalesh Dabral

Mangalesh Dabral

हमारे शासक

हमारे शासक ग़रीबी के बारे में चुप रहते हैं शोषण के बारे में कुछ नहीं बोलते अन्याय को देखते ही वे मुँह फेर लेते हैं हमारे शासक...
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पुनर्रचनाएँ

(ये कविताएँ पहाड़ के दूर-दराज़ क्षेत्रों के ऐसे लोकगीतों से प्रेरित हैं जिन्हें लोक कविताएँ कहना ज़्यादा सही होगा पर ये उनके अनुवाद नहीं...
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यहाँ थी वह नदी

जल्दी से वह पहुँचना चाहती थी उस जगह जहाँ एक आदमी उसके पानी में नहाने जा रहा था एक नाव लोगों का इंतज़ार कर रही थी और पक्षियों की...
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प्रेम करती स्त्री

प्रेम करती स्त्री देखती है एक सपना रोज़ जागने पर सोचती है क्या था वह निकालने बैठती है अर्थ दिखती हैं उसे आमफ़हम चीज़ें कोई रेतीली जगह लगातार बहता नल उसका...
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ग़ुलामी

इन दिनों कोई किसी को अपना दुःख नहीं बताता हर कोई कुछ छिपाता हुआ दिखता है दुःख की छोटी-सी कोठरी में कोई रहना नहीं चाहता कोई अपने अकेलेपन...
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यथार्थ इन दिनों

मैं जब भी यथार्थ का पीछा करता हूँ देखता हूँ वह भी मेरा पीछा कर रहा है, मुझसे तेज़ भाग रहा है घर हो या बाज़ार,...
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माँ का नमस्कार

जब माँ की काफ़ी उम्र हो गई तो वह सभी मेहमानों को नमस्कार किया करती जैसे वह एक बच्ची हो और बाक़ी लोग उससे बड़े। वह हरेक...
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साहित्य अकादेमी पुरस्कार, 2001 के समय दिए गए वक्तव्य से

'कवि ने कहा : मंगलेश डबराल' से साभार पाब्लो नेरूदा ने अपने संस्मरणों में एक ऐसे व्यक्ति का ज़िक्र किया है जिसने उनकी कुछ अवसादग्रस्त...
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भाषा के एक सेतु कवि का जाना

वरिष्ठ कवि, अनुवादक एवं सम्पादक मंगलेश डबराल के जाने का दुःख बहुत बड़ा है। शायद हिन्दी समाज को पता ही नहीं चला कि वे कब...
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मैं चाहता हूँ

मैं चाहता हूँ कि स्पर्श बचा रहे वह नहीं जो कंधे छीलता हुआ आततायी की तरह गुज़रता है बल्कि वह जो एक अनजानी यात्रा के बाद धरती के...
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उस स्त्री का प्रेम

वह स्त्री पता नहीं कहाँ होगी जिसने मुझसे कहा था— वे तमाम स्त्रियाँ जो कभी तुम्हें प्यार करेंगी मेरे भीतर से निकलकर आयी होंगी और तुम जो प्रेम मुझसे...
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तुम्हारे भीतर

एक स्त्री के कारण तुम्हें मिल गया एक कोना तुम्हारा भी हुआ इंतज़ार एक स्त्री के कारण तुम्हें दिखा आकाश और उसमें उड़ता चिड़ियों का संसार एक स्त्री...
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