Tag: Poonam Sonchhatra
अनुत्तरित प्रार्थना
'परिवर्तन प्रकृति का नियम है'
यह पढ़ते-पढ़ाते वक़्त
मैंने पूरी शिद्दत के साथ अपने रिश्तों में की
स्थिरता की कामना
प्रकृति हर असहज कार्य भी पूरी सहजता के...
जीवन साथी
हमारे छत्तीस में से बत्तीस गुण मिलते हैं
जब साथ खड़े होते हैं
तो जैसे राम और सीता
लेकिन हम बात नहीं करते
क्योंकि हमारे पास करने के...
आत्मसंतुष्टि
और फिर
एक समय के पश्चात
इच्छाओं का रक्तबीज
स्वयं करने लगता है
अवसाद की उल्टियाँ
सफलता का महिषासुर
पैरों तले रौंद दिया जाता है
परिवार, प्यार, समाज, उत्तरदायित्व,
लोक-लज्जा, संशय, उपेक्षा...
मुक्ति
चरित्र के समस्त आयाम
केवल स्त्री के लिए ही परिभाषित हैं
मैं सिन्दूर लगाना नहीं भूलती
और हर जगह स्टेटस में मैरिड लगा रखा है
जैसे ये कोई...
मरी हुई लड़की
मरी हुई लड़की
अपने मन से सजती-सँवरती नहीं है,
खुलकर हँसती भी नहीं है,
चुप इतनी होती है कि
रोती भी बेआवाज़ ही है,
उसकी साँस चलती तो है
लेकिन...
आग
'Aag', a poem by Poonam Sonchhatra
आग... बेहद शक्तिशाली है
जला सकती है शहर के शहर
फूँक सकती है जंगल के जंगल
आग... नहीं जानती
सजीव-निर्जीव का भेद
वह नहीं...
लेटलतीफ़
'Latelateef', a poem by Poonam Sonchhatra
यूँ तो मैं ताउम्र लेटलतीफ़ ही रही..
मेरी सहेलियों ने कभी भी कहीं भी आने के लिए
मुझे हमेशा तयशुदा वक़्त से
आधे...
सरल रेखा
'Saral Rekha', a poem by Poonam Sonchhatra
मैंने टूटते हुए तारे देखे थे
तुम्हारे हर एक चुम्बन के साथ
न्यूटन का गति का तीसरा नियम यही कहता...
उड़ान
'Udaan', a poem by Poonam Sonchhatra
उसने कहा-
"गिरना नियति है,
संसार की प्रत्येक वस्तु गुरुत्वाकर्षण के अधीन होती है... "
मैंने कहा-
"यह नियम राख पर लागू होता...
मीठी पीड़ा
'Meethi Peeda', a poem by Poonam Sonchhatra
मैं प्रेम में थी
या प्रेम मुझमें था...
अमावस की काली रात में भी
झर-झर झरती रही शरद पूनम की शुभ्र चाँदनी
मैंने...
कशमकश
क्षितिज पर डूबते तारे-सा है हमारा प्रेम
मैंने मुस्कुराहटों की एक गुल्लक बनायी थी
और तुमसे मिलने के ठीक पहले ही
उसे तोड़ा था
तुम्हें नहीं मालूम, लेकिन
उधार...
बातों का प्रेम
अनेक स्तर थे प्रेम के
और उतने ही रूप
मैंने समय के साथ यह जाना कि
पति, परमेश्वर नहीं होता
वह एक साथी होता है
सबसे प्यारा, सबसे महत्त्वपूर्ण...