Tag: Rajnish

काग़ज़ की कश्ती

बारिश थम चुकी है फिर भी हर शजर का दामन भीगा-भीगा सा है धूप ने बहुत गुज़ारिश की है तभी आसमान ने पिघलकर बूँद-बूँद बारिश की है नदियों का किनारा देखा है तुमने किस कदर जल...
Leaf, Autumn, Plant

तक़लीफ़ बढ़ा दो

मुझे दर्द दो थोड़ी तक़लीफ़ बढ़ा दो आह्वान करो दुर्भाग्य का तोरण पताकाएँ हटा लो रास्ते के दीप बुझा दो फूलों को आँसुओं के तेज़ाब से झुलसने को कहो दिशाओं शर संधान करो सुराख...

दो कहानियाँ

पहली बार रोशनी में मैंने खुद को देखा होगा तुम भी कहीं उजाले में खूब इतराए होगे पहली बार बारिश ने जब मुझे भिगोया होगा नन्हा सा...
Woman, Village

गंगा पार की मोनालिसा

जब घर बनाऊँगा सबसे बाहर के कमरे में फ़र्श तक फैली खिड़कियाँ होंगी वहीं बैठकर रास्तों को घूरता रहूँगा कविताएँ लिखूँगा छोटी-छोटी कहानियाँ भी राहगीर होंगे मेरी कहानियों के पात्र शाम को...

ढिबरी

तब मोमबत्ती केवल त्यौहारों पर खरीदी जाती थी.. खांसी के सीरप की खाली हुई बोतलों को निरमा से धोकर उसमें केरोसिन डालकर ऊपर ढक्कन...

वो पहली कविता

??? जब सूरज देर से उगता है चांदनी दुपहरी तक रुकती है तितलियों के बिछलते पंख मिलकर साजों से बजते हैं असंख्य मधुर तान उठती है गुलालों से भरी हथेलियों...
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