Poems by Anubhav Bajpai

भद्दी तस्वीर

मैं मोबाइल कैमरे से
तस्वीर उतारता हूँ
पक्की सड़क के
बीचोबीच

घास चरती
ऑफिस की घरेलू
नग्न स्त्रियों की

और उनकी
योनियाँ निहारते
तार्किक वैज्ञानिक
पुरुषों की

मन्दिर और रोटी

पुरुषों ने
मंदिर पाथे

स्त्रियों पर अत्याचार किये

स्त्रियों ने
उपले पाथे

और पुरुषों को रोटी दी!

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अनुभव
स्वतंत्र फ़िल्मकार। इस समय एमसीयू, भोपाल से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं। सम्पर्क सूत्र : [email protected]