तुम्हारे गुस्से की बहुत कीमत है
हर किसी पे इसे ज़ाया न करो
हाँ, प्यार की बाज़ार में आजकल ज़रूरत नहीं
तुम चाहे, यहाँ-वहाँ बाँट आया करो।
ऐसा क्यों है? पता नहीं
मगर मैं इतना जानता हूँ
कि बहुत से ऐसे सवाल होते हैं
जिनको अनुत्तरित ही छोड़ देना होता है।