मछलियों का मायका नहीं होता
उन्हें ब्याह कर ससुराल नहीं जाना पड़ता
उनका मरद उन्हें छोड़ कमाने बाहर नहीं जाता
बच्चे भी हमेशा आसपास ही रहते हैं
कितना सुंदर है मछलियों का संसार
रिश्ते तो उनके भी होते होंगे
होता होगा
अपना-पराया
देश-परदेश
सरहद
तीज-त्योहार
धर्मस्थल
तीर्थस्थल
होती होंगी इच्छाएँ
लालसाएँ
वर्जनाएँ
तभी तो
आटे की गोली खाने में
बिछड़ जाती हैं एक-दूसरे से
फँस जाती हैं जाल में
तोड़ देती हैं दम
तड़पते हुए पानी से बाहर।