आवाज़ देकर
रिक्शेवाले को बुलाया
वो कुछ
लंगड़ाता हुआ आया।

मैंने पूछा-
यार, पहले ये तो बताओगे,
पैर में चोट है कैसे चलाओगे?

रिक्शेवाला कहता है-
बाबू जी,
रिक्शा पैर से नहीं
पेट से चलता है।

Previous articleएक सांस्कृतिक चूहे की कुतरन
Next articleएक औरत तीन बटा चार
अशोक चक्रधर
डॉ॰ अशोक चक्रधर (जन्म ८ फ़रवरी सन् १९५१) हिंदी के विद्वान, कवि एवं लेखक है। हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध वे कविता की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक है। 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

1 COMMENT

  1. […] अशोक चक्रधर की कविता ‘रिक्शेवाला’ रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी ‘काबुलीवाला’ सुभद्राकुमारी चौहान की कहानी ‘हींगवाला’ मंटो की कहानी ‘सौदा बेचने वाली’ […]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here