Tag: Avinash Kumar
स्त्री-पुरुष
मैंने जब स्त्री को जाना,
वो काट चुकी थी
गेहूँ की बालियाँ, गले की हँसुली
उठा चुकी थी हाथ में वेद,
प्रश्न कर चुकी थी
समाज की विकृतियों पर
वो...
मेरा मौन, तुम्हारा गुस्सा
आज उसने फिर मुझसे बात करने की कोशिश की-
"कोई कहानी? कोई कविता?
कभी कुछ भी तो नहीं होता तुम्हारे पास,
मुझे कहने को!"
फिर वो झल्लाई, खूब...