'बीस्ट्स ऑफ़ नो नेशन' के एक दृश्य से प्रेरितयुद्ध में लड़ता
क़त्ल-ए-आम मचाता कोई किशोर
यदि अपनी जान बचाने को
आत्मसमर्पण कर दे
तो पूछे जाने पर कहेगा
कि...
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...