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Rahul Sankrityayan

स्‍त्री घुमक्कड़

"जहाँ स्त्रियों को अधिक दासता की बेड़ी में जकड़ा नहीं गया, वहाँ की स्त्रियाँ साहस-यात्राओं से बाज नहीं आतीं।""नारी भी आज के समाज के उसी तरह रोम-रोम में परतंत्रता की उन सूइयों से बिंधी है, जिन्‍हें पुरुषों के हाथों ने गाड़ा है। किसी को आशा नहीं रखनी चाहिए कि पुरुष उन सूइयों को निकाल देगा।""नारी का ब्‍याह, अगर उसके ऊपरी आवरण को हटा दिया जाय तो इसके सिवा कुछ नहीं है कि नारी ने अपनी रोटी-कपड़े और वस्‍त्राभूषण के लिए अपना शरीर सारे जीवन के निमित्त किसी पुरुष को बेच दिया है।""यह अच्छा तर्क है, स्‍त्री को पहले हाथ-पैर बाँधकर पटक दो और फिर उसके बाद कहो कि इतिहास में तो साहसी यात्रिणियों का कहीं नाम नहीं आता। यदि इतिहास में अभी तक साहस यात्रिणियों का उल्‍लेख नहीं आता, यदि पिछला इतिहास उनके पक्ष में नहीं है, तो आज की तरुणी अपना नया इतिहास बनायगी, अपने लिए नया रास्‍ता निकालेगी।"
Rahul Sankrityayan

घुमक्कड़ जातियों में

दुनिया के सभी देशों और जातियों में जिस तरह घूमा जा सकता है, उसी तरह वन्‍य और घुमक्कड़ जातियों में नहीं घूमा जा सकता,...
Rahul Sankrityayan

पिछड़ी जातियों में

"वह प्रेम कैसा जो आदमी की विवेक-बुद्धि पर परदा डाल दे, सारी प्रतिभा को बेकार कर दे?""बाहरवालों के लिए चाहे वह कष्‍ट, भय और रूखेपन का जीवन मालूम होता हो, लेकिन घुमक्कड़ी जीवन घुमक्कड़ के लिए मिसरी का लड्डू है, जिसे जहाँ से खाया जाय वहीं से मीठा लगता है।"

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