किताबघर प्रकाशन से प्रकाशित 'दुष्यंत कुमार रचनावली' से
दर्दे-सर
बम्बई में महावीर अधिकारी दुष्यन्त कुमार को लेकर धर्मवीर भारती के घर पहुँचे और बोले, "यह तुमसे...
प्रिया सारुकाय छाबड़िया एक पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और अनुवादक हैं। इनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें नवीनतम 'सिंग ऑफ़ लाइफ़ रिवीज़निंग...
आधे-अधूरे: एक सम्पूर्ण नाटक
समीक्षा: अनूप कुमार
मोहन राकेश (1925-1972) ने तीन नाटकों की रचना की है— 'आषाढ़ का एक दिन' (1958), 'लहरों के राजहंस' (1963)...
लम्बी कविता: डरावना स्वप्न
(एक)हर रात वही डरावना सपना
लगभग तीन से चार बजे के बीच आता है
और रोम-रोम कँपा जाता है
बहुत घबराहट के साथ
पसीने-पसीने हुआ-सा...
हम पृथ्वी की शुरुआत से स्त्री हैं
सरकारें बदलती रहीं
तख़्त पलटते रहे
हम स्त्री रहे
विचारक आए
विचारक गए
हम स्त्री रहे
सैंकड़ों सावन आए
अपने साथ हर दूषित चीज़ बहा...