Tag: Ramavtar Tyagi

Ramavtar Tyagi

जब मिलेगी, रोशनी मुझसे मिलेगी

इस सदन में मैं अकेला ही दिया हूँ मत बुझाओ! जब मिलेगी, रोशनी मुझसे मिलेगी! पाँव तो मेरे थकन ने छील डाले अब विचारों के सहारे चल रहा...
Ramavtar Tyagi

आँचल बुनते रह जाओगे

'Anchal Bunte Reh Jaoge', a poem by Ramavtar Tyagi मैं तो तोड़-मोड़कर बन्धन अपने गाँव चला जाऊँगा, तुम आकर्षक सम्बन्धों का आँचल बुनते रह जाओगे। मेला काफ़ी दर्शनीय है पर मुझको...
Ramavtar Tyagi

वही टूटा हुआ दर्पण बराबर याद आता है

'Wahi Toota Hua Darpan Barabar Yaad Aata Hai' a ghazal by Ramavtar Tyagi वही टूटा हुआ दर्पण बराबर याद आता है उदासी और आँसू का स्वयंवर...
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