Tag: Varavara Rao

Varavara Rao

कवि

संग्रह 'साहस गाथा' से जब प्रतिगामी युग-धर्म घोंटता है वक़्त के उमड़ते बादलों का गला तब न ख़ून बहता है न आँसू। वज्र बनकर गिरती है बिजली उठता है वर्षा...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)